Saturday, 22 October 2016

इंसान और पशु पक्षी : भाग 6

इंसान और पशु पक्षी : भाग 6

पी के सिद्धार्थ
www.bharatiyachetna.org
www.pksiddharth.in

जोई और मैं अंधकार में आकाश-मार्ग से बढ़े जा रहे हैं। तभी मुझे क्षितिज पर थोड़ा प्रकाश दिखता है। लगता है सुबह होने वाली है। समुद्र का किनारा भी दिख रहा है। मेरे हाथ भी थोड़े थक गए हैं। इसलिए मैं जोई को सी-बीच पर उतरने को कहता हूँ। हम धीरे-धीरे ऊंचाई से सी-बीच पर लैंड कर जाते हैं। सूरज का लाल बिम्ब समुद्र से उठता हुआ दिखता  है। सुहानी शीतल हवा चल रही है।

मैं वार्तालाप को आगे बढ़ाता हूँ।

मैं : देखो जोई, मैं इंसानों के बीच काम करता हूँ। मैं जानवरों से सम्बंधित अधिक जानकारी नहीं रखता।

जोई : मगर मैं जानवरों के विषय में सोचता हूँ और जानकारी रखता हूँ। तुम जानवरों का भला चाहते हो इसलिए तुन्हें जानकारी दे रहा हूँ।
यह बताओ कि दुनिया की सबसे विकसित सभ्यता या विकसित देश आज किसे मानते हैं?

मैं : शायद अमेरिका ... मेरा मतलब है यू एस ए।

जोई : वहां मनुष्यों की जनसंख्या कितनी होगी?

मैं : शायद 32 करोड़। क्यों, तुम मेरे सामान्य ज्ञान की परीक्षा लेना चाहते हो?

जोई : ये 32 करोड़ 'विकसित' लोग  नौ सौ करोड़ से भी अधिक पशु-पक्षी एक साल में खा जाते हैं।

मैं : असंभव! सरासर गलत! तुम ये अनाप-शनाप डेटा कहाँ से ला रहे हो, जोई? तुमपर मनुष्यों की, खास कर अमेरिकन लोगों की, मानहानि का मुकदमा चल जायेगा, अगर तुम्हारे इस दुष्प्रचार का पता अमरीका को चल गया!

जोई एक मिनट के लिए मुझे हैरत की नजर से देखता है।

जोई : देखो, आखिर तो तुम मनुष्य ही हो न! मनुष्यों पर लांछन लगते ही कितने उद्विग्न हो गए? इतने उद्विग्न पशुओं पर अत्याचार से भी नहीं होते होगे! मैं तो समझता था कि तुम एक निष्पक्ष इंसान हो!

मैं : (शांत हो कर) देखो जोई, पूरी धरती पर सिर्फ  साढ़े सात सौ करोड़ इंसान हैं। इनसे भी बड़ी संख्या में पशु-पक्षियों को 32 करोड़ लोग अगर एक साल में मार कर खा जाएं, तो यह बात प्रथमदृष्ट्वा हजम नहीं होती। मैंने इसीलिए ऐसा कहा। तुम आंकड़ों का श्रोत बताओ, मैं स्वीकार कर लूंगा।

जोई : मैं अपनी स्मृति से बोल  रहा था। लेकिन मैं अभी ऑनलाइन चेक कर सटीक आंकड़े श्रोत के साथ बताता हूँ।

जोई आँखें बंद कर लेता है। पलकों पर पुतलियों का कम्पन दिख रहा है। शायद ब्रेन में ऑनलाइन गतिविधि चल रही है।

जोई : सटीक आंकड़े हैं 9.2 बिलियन। यानि नौ सौ बीस करोड़। वर्ष 2015, श्रोत USDA, यानि यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ़ एग्रीकल्चर।

मैं : मगर कोई कृषि-विभाग पशुवध के आंकड़े कैसे दे सकता है?

जोई : अमेरिका में, और अब अन्यत्र भी, पशु-पक्षियों को बड़ी संख्या में आदमियों के खाने के लिए पैदा करने और तैयार करने को भी 'फार्मिंग' के ही अंतर्गत गिनते हैं। अब उनकी विशाल संख्या में 'फैक्ट्री फार्मिंग' होती है।

तभी एक ओर से एक गाय और एक खरगोश हमारे पास पहुँचते हैं। वे जोई को पहचानते हैं। 'हेलो जोई, कैसे हो?'

जोई : अच्छा हूँ, तुम लोग कैसे आ गए यहाँ?

खरहा : हमें इंट्यूशन हो रहा था कि तुम हमारे करीब हो। फिर हमने जी पी एस चिप से तुम्हारा लोकेशन चेक किया।

गाय : ह्म्म्म्म!

जोई : (मेरी ओर इशारा कर के) इनसे मिलो, ये मेरे पापा हैं। मैं इन्हें जानवरों की हालत दिखाने ले कर निकला हूँ।

और पापा, ये भी मैनिमल हैं, जिन्हें विल्फ्रेड ने अपनी प्रयोगशाला में रसेल की बौद्धिक जींस लगा कर तैयार किया था। ये भी सोच सकते और बातें कर सकते हैं।

खरहा : महाशय, आपलोगों की बातें हम कुछ देर से सुन रहे हैं। मगर माफ़ करना जोई, तुमने जो आंकड़े दिए उनमें अमेरिका में भोजन के लिए मारे जाने वाले खरगोशों की संख्या शामिल नहीं। 2015 में अमरीका में बीस लाख खरगोश भी मार कर खाये गए।

तभी समुद्र से एक डॉल्फिन मछली निकल कर आती है।

डॉलफिन : हेलो जोई!

जोई : हेलो! अरे, तुम भी यहीं?

डॉलफिन : हाँ। मुझमे रसेल की बौद्धिक जीन्स लगा कर विल्फ्रेड ने पानी में छोड़ दिया यह कह कर कि अपने जैसी थिंकिंग डॉल्फ़िन खूब पैदा करो। उसने और साधारण मछलियाँ भी समुद्र में थिंकिंग जींस लगा कर छोड़ी हैं।

जोई : ग्रेट! विल्फ्रेड बहुत बड़ा काम कर रहे हैं। ईश्वर उन्हें सफलता दे!

डॉल्फ़िन : मैं बताना चाहती हूँ कि अमेरिका के कृषि-विभाग के आंकड़ों में खाई जाने वाली मछलियों की संख्या भी शामिल नहीं है। मुझे लगता है दुनिया में सबसे ज्यादा मछलियाँ ही खाई जाती हैं। (क्रमशः)

पी के सिद्धार्थ
23 अक्टूबर, 2016

No comments:

Post a Comment