Saturday, 22 October 2016

इंसान और पशु पक्षी : भाग 5

इंसान और पशु पक्षी : भाग - 5

पी के सिद्धार्थ
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(जोई और मैं सेवेंथ डे एडवेंटिस्ट चर्च में)

जोई : क्योंकि बकरा-ईद के दिन दुनिया का सबसे बड़ा पशुसंहार होता है - करीब 20 करोड़ पशु एक दिन में क़त्ल कर दिए जाते हैं।

मैं : ओह! दुखद! मगर क्या तुन्हें पता है कि क्रिसमस के दिन भी टर्की नाम के एक पक्षी को क्रिसमस सेलिब्रेट करने के लिए क़त्ल किया जाता रहा है?

जोई : हाँ, अकेले यू के में क्रिसमस के दिन एक करोड़ निरीह बगुले-जैसे टर्की पक्षी क्रिसमस टेबुल के लिए मौत के घाट उतारे जाते हैं!
मगर यहूदी और मुस्लमान जिस तरीके से गला रेत कर खून बहा कर जानवरों को क़त्ल करते हैं उससे जानवरों में बहुत भय रहता है। यह बहुत पीड़ादायी तरीका है। कई देशों ने इस तरीके से जानवरों को मारने पर पाबन्दी लगा दी है, जैसे नॉर्वे ने। ज्यादातर विक्सित देशों में जानवरों को अचेत कर मारा जाता है।

मैं : मैंने आगे से गला रेत कर जानवरों को मारने की हलाल पद्धति पर कई मौलानाओं से बात की है। वे कहते हैं कि खुदा का यह हुक्म है कि खून खाना हराम है। जानवर का आगे से गला रेतने का मकसद जानवर को तकलीफ पहुँचाना नहीं बल्कि यह सुनिश्चित करना होता है कि मरने के पहले सारा खून जानवर के शरीर से निकल जाये।

जोई : कमाल है, आप खुदा का हुक्म तामील कर रहे हो, मगर यह भी तो देखो कि अगले को कितनी पीड़ा हो रही है! आप कितना भी खून निकालने की कोशिश करो, मांस से शत प्रतिशत खून कभी अलग किया ही नहीं जा सकता। इसलिए अगर खुदा का हुक्म मानना ही है तो मांस खाना ही बंद कर दो। जरा भी खून भीतर नहीं जायेगा। यों भी मांस खाना खुदा ने अनिवार्य नहीं कर रखा है। बहुविवाह की तरह वह भी ऑप्शनल है।

मुस्लमान हदीस की वह कहानी भी कम ही जानते हैं कि एक बार एक भूखे-प्यासे कुत्ते की एक मुस्लमान ने जान बचाई थी, और उस पशु पर दया दिखने के लिए सिर्फ इसी एक कर्म के लिए खुदा ने उस बन्दे को जन्नत बक्शी थी।

मैं : सचमुच?

जोई : सचमुच! किसी भी मौलाना से पूछ लो! वे जानते हैं यह कहानी, मगर आम मुसलमानों को बताना नहीं चाहते।

मैं जोई को अविश्वास के साथ देखता हूँ। उसकी कुरआन-हदीस की जानकारी पर भी हैरान हूँ।

मैं : मगर खाने के लिए जो पशु पक्षियों की जो हत्या की जाती है, वह तो धर्म के नाम पर की जाने वाली हत्याओं से बहुत ज्यादा होगी जोई, मेरे ख्याल से। क्यों?

जोई : सही कहा। चलो मैं तुम्हें उसके भी दृश्य दिखाता हूँ जिसकी तुमने कल्पना भी नहीं की होगी।

जोई मुझे इशारा करता है और हम फिर आकाश मार्ग से अपनी यात्रा शुरू करते हैं। (क्रमशः)

पी के सिद्धार्थ
22 अक्टूबर, 2016

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