कल बड़कागांव हजारीबाग (झारखण्ड) में अवैध तरीके से सरकार द्वारा 2500 एकड़ वन भूमि के अधिग्रहण और 60000 लोगों के बलात् विस्थापन के विरुद्ध भारतीय सुराज दल और एकता परिषद् द्वारा उच्च न्यायलय में दाखिल की गयी याचिका पर सुनवाई थी। लेकिन वकीलों की आकस्मिक हड़ताल से सुनवाई टल गयी। मुख्य न्यायाधीश बैठे और उन्हीने सरकारी पक्ष के वकील की अनुपस्थिति में केस सुनने से मना कर दिया। फिर भी मेरे आग्रह पर केस के एक पक्ष पर सुनवाई हुई, और एडवोकेट जेनेरल द्वारा पूर्व में उठाई गयी आपत्ति के विपरीत मुझे खुद मुक़दमे की बहस करने की अनुमति प्रदान की गई। अगली सुनवाई 9 दिसंबर को होगी।
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