प्रेस रिलीज़
विषय : रांची में 19 वर्षीय छात्रा का गण-घर्षण और नृशंश हत्या।
सारांश : पुलिस, न्यायपालिका और शिक्षा व्यवस्था की सम्पूर्ण विफलता फिर उजागर; गृह मंत्री इस्तीफा दें या ठोस पहल कर पुलिस रिफॉर्म लागू करें; गैंग-रेप के अपराधियों के लिए कैस्ट्रेशन की व्यवस्था हो।
परसों रांची की बूटी बस्ती में जो नृशंश हत्या कांड हुआ, उसके मुतल्लिक आज इस बात की अनौपचारिक पुष्टि भी हो गयी कि यह गण-घर्षण या गैंगरेप का भी मामला है। अन्य घटनाओं के साथ मिला कर देखा जाय तो यह राज्य की लचर विधि-व्यवस्था का एक और ज्वलंत उदाहरण है। पिछले एक महीने में स्त्रियों को जिन्दा जलाये जाने की राज्य में यह चौथी घटना है। अपराधों को नियंत्रित करने में पुलिस की विफलता की जिम्मेवारी लेते हुए राज्य के गृह मंत्री को या तो इस्तीफा देना चाहिए, या आगे ठोस कदम उठाने चाहिए।
भारतीय सुराज दल ने राज्य के गृह मंत्री को पत्र लिख कर इस सन्दर्भ में निम्नलिखित 10-सूत्री मांगें रखी हैं :
1) एक ऐसी एस आई टी का गठन हो जिसमे नियुक्त अधिकारी सिर्फ इसी मामले की तफ्शीश करें। उनपर और कोई दायित्व न हो, जैसा कि ब्रिटिश 'सीरियस क्राइम ट्रैकिंग सिस्टम' के तहत सफलतापूर्वक किया जाता रहा है। अभी इस SIT में पार्ट-टाइम अधिकारी रखे गए हैं।
2) सरकार गैंग रेप, गैंगरेप-सह-हत्या, डायन के नाम पर स्त्री-हत्या और स्त्री-दहन (वुमन-बर्निंग) के मुकदमों की सुनवाई के लिए डेजिग्नेटेड फास्ट ट्रैक कोर्ट बहाल करे जो लगातार सुनवाई कर हफ़्तों में अंतिम निर्णय दिया करे।
3) सरकार उच्च न्यायलय से यह आग्रह करे कि अपने नियम बदल कर अत्यंत गंभीर और संवेदनशील मामलों को वरीयता क्रम में ऊपर लेकर दिन प्रति दिन की सुनवाई कर उनका त्वरित निष्पादन करे।
4) स्कूली शिक्षा पाठ्यक्रम में स्त्री की गरिमा और उस गरिमा को नष्ट करने पर कठोर दंडात्मक क़ानूनी प्रावधानों से सभी को परिचित कराया जाय।
5) आदतन बलात्कार और गैंगरेप-के अपराध असंदिग्ध रूप से प्रमाणित होने पर अन्य डंडों के अलावा प्रौढ़ वयस्कों के 'कैस्ट्रेशन' (टेस्टिकल हटाना) का कानूनी प्रावधान भी किया जाय। यह प्रावधान अमेरिका के कई प्रांतों में और कई विक्सित देशों में वैकल्पिक या स्वतंत्र दंड के रूप में लागू है। संविधान की धारा 254 (2) के तहत केंद्रीय कानूनों में ऐसे संशोधन का अधिकार राज्यों को है। संविधान के सातवें शेड्यूल की तीसरी सूची (समवर्ती सूचि) की प्रथम और द्वितीय प्रविष्टियाँ इसे और स्पष्ट करती हैं कि IPC और CrPC में परिवर्तन का स्पष्ट अधिकार राज्यों को है।
6) सामान्य विधि व्यवस्था को चुस्त करने के लिए राँची में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू की जाय।
7) विधि-व्यवस्था और अपराध-अनुसन्धान के लिए पुलिसबल का अलगाव जल्द से जल्द किया जाय ताकि अपराधों का उचित और त्वरित अनुसन्धान संपन्न हो सके। त्वरित अनुसन्धान और त्वरित दंड से ही अपराध रुक सकते हैं।
8) वी आई पी सुरक्षा को स्केल डाउन कर अधिक पुलिस कर्मियों को विधि व्यवस्था और अनुसन्धान कार्य में लगाया जाय।
9) हर गंभीर अपराध को रोकने के लिए जो सबसे बड़ा कदम है वह है नशा बंदी। राज्य में तुरंत नशाबंदी लागु की जाय।
10) सूबे के गृह मंत्री या तो पुलिस रिफॉर्म करें और ये ठोस कदम उठाएं या इस्तिफा दें।
पी के सिद्धार्थ
अध्यक्ष, भारतीय सुराज दल
17 दिसंबर, 2016
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