एक नए राजनीतिक दल की क्या जरुरत? : भारतीय सुराज दल के विषय एक संक्षिप्त प्रस्तुति।
भारतीय सुराज दल का भारत के चुनाव आयोग द्वारा औपचारिक रूप से एक राजनीतिक दल के रूप में निबंधन या रेजिस्ट्रेशन 29 अगस्त, 2014 को हुआ।
श्री पी के सिद्धार्थ इसके संस्थापक अध्यक्ष हैं, और दो अन्य संस्थापक सदस्य श्री कमलेश कुमार गुप्ता और श्री बी एल वोहरा क्रमशः इसके राष्ट्रीय महासचिव और राष्ट्रीय कोषपाल हैं।
श्री सिद्धार्थ एक भूतपूर्व आई पी एस अधिकारी हैं, जिन्होंने 2010 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर पूर्णकालिक रूप से अपने-आप को सामजिक कार्यों के लिए समर्पित कर दिया।
उन्होंने कई पुस्तकें लिखी हैं, और सुविधाविहीन बच्चों के बीच शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने कई नए प्रयोग किये हैं। किसानों की गरीबी दूर करने के लिए उन्होंने 'खेती से लखपति' नाम की एक फ़िल्म-श्रृंखला का निर्माण किया है, जिससे लाखों किसान लाभान्वित हुए। तीन-चार वर्षों के भीतर ही चयनित क्षेत्रों में आत्यंतिक गरीबी दूर करने के लिए उन्होंने एक नया मॉडल भी विकसित किया है।
महासचिव श्री कमलेश कुमार गुप्ता एक दशक से अधिक से झारखण्ड के सुदूर गांवों में निर्धन लोगों के बीच हर जाड़े में बड़ी संख्या में कम्बल और गरम वस्त्र बांटते रहे हैं। श्री बी एल वोहरा एक भूतपूर्व पुलिस महानिदेशक हैं, जिन्होंने अपनी संस्था 'वस्त्रदान' की और से लाखों वस्त्र गरीबों के बीच अबतक वितरित किये हैं।
भारतीय सुराज दल का मुख्य उद्देश्य देश में *सुराज* लाना है। सुराज का अर्थ होता है सुन्दर राज या गुड गवर्नेंस। 1947 में भारत में स्वराज या अपना राज तो आ गया मगर सुराज नहीं आ पाया। 72वें और 73वें संविधान संशोधनों के बाद पंचायतों के स्तर तक भी चुनी हुई सरकारें आ गयीं, अर्थात कथित रूप से ग्राम-स्वराज भी आ गया, मगर सुराज फिर भी नहीं आ पाया। इसीलिए दल ने अपना लक्ष्य सुराज को बनाया है।
किसी भी देश की अधिकांश समस्याओं का सबसे त्वरित और प्रभावी समाधान एक सरकार ही प्रदान कर सकती है। एक लोकतंत्र में दुनिया भर में यह सरकार राजनीतिक पार्टियां ही बनाती हैं। इसलिए एक सरकार कितनी अच्छी और प्रभावी होगी यह ज्यादातर इसी पर निर्भर करेगा कि जो राजनीतिक पार्टी सरकार बना रही है वह कितनी अच्छी और प्रभावी है।
एक राजनीतिक पार्टी कितनी अच्छी है और प्रभावी है, यह कई अन्य बातों के अलावा मुख्य रूप से इन बातों पर निर्भर करता है :
1) *व्यवस्था परिवर्तन का स्पष्ट मानचित्र* : पार्टी के पास देश या राज्य की प्रमुख समस्याओं के समाधान के लिए सुचिंतित रोडमैप तैयार है या नहीं, देश की विकृत व्यवस्था या उसकी उपव्यवस्थाओं के परिवर्तन का नक्शा विकसित किया गया है या नहीं;
2) *नेतृत्व*: : पार्टी के नेतृत्व की ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा का पूर्व इतिहास या ट्रैक रेकॉर्ड कैसा है; पार्टी के पास दक्ष और ईमानदार नेतृत्वकर्ताओं की अच्छी संख्या में उपलब्धता है या नहीं, जो सत्ता में आने पर विभिन्न मंत्रालयों को अच्छी तरह संभाल सकें; पार्टी के पास योग्य नेतृत्वकर्ताओं को तैयार करने की रणनीति और कार्यक्रम हैं या नहीं; पार्टी के संविधान में नेतृत्व-चयन की उचित, निष्पक्ष और पारदर्शी व्यवस्था है या नहीं।
3) *संघर्षात्मक कार्यक्रम*: पार्टी के पास जनहित के मुद्दों पर संघर्ष करने की ताकत और इतिहास है या नहीं।
4) *रचनात्मक कार्यक्रम*: सत्ता में नहीं होने पर कार्यकर्ताओं और नेतृत्वकर्ताओं के चरित्र को आकार देने और समाज के निर्माण के लिए उपयुक्त रचनात्मक कार्यक्रम हैं या नहीं; और ये कार्यक्रम निरंतरता के साथ जमीनी स्तर पर चलाये जाते हैं या नहीं।
5) *सत्ता में पहुंचने के पहले दल की क्या उपलब्धियां रहीं?*: पार्टियां हमेशा बड़े-बड़े दावे प्रस्तुत करती हैं कि सत्ता में आने के बाद वे क्या करेंगी - गरीबी हटा देंगी, अच्छे दिन ला देंगी, आदि आदि। सत्ता में पहुँचने के बाद कोई पार्टी क्या करेगी, यह तो कहना बहुत ही कठिन है, खास कर एक नयी पार्टी के विषय में; मगर क्या इस सवाल का संतोषजनक जवाब पार्टी दे पाती है कि सत्ता में आने के पहले, या सत्ता में आये बिना, वह क्या कर सकती है, या क्या कर सकी? अगर वह इस सवाल का संतोषजनक जवाब दे सकी तो इस बात की संभावना बहुत बढ़ जएगी कि सत्ता में आने के बाद वह वाकई कुछ महत्त्वपूर्ण परिवर्तन कर पायेगी।
लोग अक्सर पूछते हैं कि जब देश में पहले से ही लगभग 2000 के करीब निबंधित राजनितिक पार्टियां हैं, तो फिर एक नई पार्टी की जरुरत क्यों? हम आपसे यह पूछना चाहेंगे कि ऐसी कितनी पार्टियां इस देश में हैं जो उपर्युक्त पाँच मानदंडों पर खरी उतर सकें? अगर ऐसी पार्टियां खोजने में समय लगता है तो फिर एक नयी पार्टी की जरुरत है। और इसी लिए यह नई पार्टी!
जो पाँच महत्वपूर्ण सवाल पूछे गए, उनका क्या जवाब भारतीय सुराज दल के पास है? यहाँ हम यही बताना चाहेंगे।
1) *वैकल्पिक व्यवस्थाओं का ब्लूप्रिंट*: भारतीय सुराज दल की स्थापना 2014 में करने से पूर्व ही कई वर्षों तक के शोध, चिंतन-मनन और विमर्श के बाद 11 क्षेत्रों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था का ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया गया था।
2) *दल का नेतृत्व*: पार्टी नेतृत्व की ईमानदारी और दक्षता के पूर्व इतिहास का पता स्वयं करना उचित होगा। उनके विषय में विशेष जानकारी www.pksiddharth.in से ली जा सकती है। पार्टी बड़ी संख्या में वेल-इंफॉर्मड, ज्ञानवान, चरित्रवान और सेवाधर्मी नेतृत्वकर्ता तैयार करने के लिए उच्चस्तरीय राजनीतिक नेतृत्व-विकास शिविर कर रही है। पार्टी में नेतृत्व के चयन के लिए उचित और पारदर्शी प्रक्रिया पार्टी के संविधान में अपनाई गयी है, जिसे पार्टी के संविधान को पढ़ कर जाना जा सकता है। सदस्यों की प्रोन्नति की पारदर्शी और सम्यक व्यवस्था पार्टी के संविधान में है, जो www.suraajdal.org पर उपलब्ध है। दल में आप्त प्रथम से ले कर आप्त पंचम तक पांच प्रकार के सदस्य होते हैं, और प्रथम से पंचम स्तर तक प्रोन्नति के पारदर्शी मानदंड इस दल का संविधान प्रदान करता है, ताकि शीर्ष नेतृत्व छन कर ऊपर आये। ऐसी पारदर्शी व्यवस्था किसी दूसरे दल के संविधान में नहीं।
3) *जन मुद्दों के लिए संघर्षशीलता*: पार्टी अपनी स्थापना के बाद से लगातार जन-मुद्दों पर जमीनी आंदोलन और न्यायालयों में जनहित याचिकाओं के माध्यम से लड़ती आ रही है। इसकी कुछ मिसालें देखिये:
2015 के अक्टूबर-नवम्बर में झारखण्ड लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में फैले अकूत भ्रष्टाचार से पीड़ित छात्र आमरण अनशन पर बैठे। बाकी दल अनशन स्थल पर चित्र खिंचवा कर चले गए। मगर भारतीय सुराज दल का नेतृत्व उनके साथ 3 दिनों तक अनशन पर बैठा, उनके पास उपलब्ध भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का संकेत देने वाले सारे दस्तावेज देखे, और संतुष्ट होने पर तुरंत झारखण्ड उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दाखिल की। दल के अध्यक्ष ने खुद 4 महीने मुख्य न्यायाधीश के समक्ष बहस की। उधर झारझण्ड विधान सभा में विपक्ष को संगठित कर विधानसभा की कारर्वाई 4 दिनों तक बाधित करवा के रखा। अंततः सरकार झुकी और विपक्ष के नेता के माध्यम से भारतीय सुराज दल द्वारा दी गयी सभी सुधारों की अनुशंशा को अगली जी पी एस सी परीक्षा से लागू करने का निर्णय सरकार द्वारा लिया गया।
उपर्युक्त आंदोलन न केवल अनशन और न्यायालयों तक सीमित रहा, बल्कि सडकों तक फैला। लेकिन दल ने आंदोलनकारी छात्रों को नियंत्रण में रखा, और हिंसा और लोक-सम्पति की हानि नहीं होने दी। सर्फ पुराने टायर जलाये गए।
झारखंड प्रदेश के हज़ारीबाग़ जिले के बड़कागांव पंचायत में कोयला उत्खनन के लिए भूमि-अधिग्रहण की प्रक्रिया वर्षों से चल रही है। मगर 2013 में भूमि अधिग्रहण के नए कानून के आने के बाद 70 प्रतिशत किसानों की सहमति जरूरी हो गयी। मगर प्रशासन और सरकार अभी भी पुराने कानून के तहत, अर्थात गैरकानूनी तरीके से जमीन अधिग्रहण करना चाह रही। ध्यान रहे कि कोयला उत्खनन सरकार या एन टी पी सी खुद नहीं कर रही, बल्कि एक प्राइवेट कंपनी के माध्यम से करवाने का विधान किया गया। इस प्रोजेक्ट से साठ हज़ार लोग विस्थापित होंगे। सरकार ने फारेस्ट राइट्स ऐक्ट का उल्लंघन करते हुए बिना ग्रामसभा की अनुमति के जंगल की 2500 एकड़ जमीन को भी गैर वनीय प्रयोग यानि कोयला उत्खनन के लिए डाइबर्ट कर दिया। इस मामले का संज्ञान लेते हुए दल के प्रतिनिधिओं ने वहां गांवों में जाकर जन-सुनवाई की और कुछ दलों के साथ मिल कर आंदोलन किया और गिरफ़्तारी दी। फिर झारखण्ड उच्च न्यायलय में लोकहित याचिका दाखिल की और दल के अध्यक्ष ने खुद ही मुख्य न्यायाधीश के कोर्ट में केस की बहस की।
4) *रचनात्मक कार्यक्रम*: दल ने 23 सूत्री रचनात्मक कार्यक्रम विकसित किया है, जिसमें प्रमुख हैं बिना सरकार का मुखापेक्षी हुए खेती से लखपति बनाना, गरीबी निवारण करना और गांव-गांव में शिक्षा में गुणात्मक परिवर्तन लाना; सार्वजानिक टॉयलेट्स को साफ़ करते रहना; नशाबंदी; पंचामृत कार्यक्रम के तहत जरूरतमंदों के लिए अन्न, पुस्तकें, वस्त्र, कम्बल आदि का संग्रह करना इत्यादि।
5) अंततः, अंतिम और सबसे कठिन प्रश्न का उत्तर कि *सत्ता में आने के पहले दल क्या कर सकता है, और क्या किया?*
दल ने किसानों के गरीबी-निवारण के लिए 'खेती से लखपति' नामक एक फ़िल्म श्रृंखला प्रस्तुत की है जो किसानों को समृद्ध बनने के उपाय सिखाती है। इस श्रृंखला की डी वी डी सदस्यों को नाम-मात्र दर पर उपलब्ध करायी जाती है। लाखों किसान इस प्रशिक्षण फ़िल्म-श्रंखला से लाभान्वित हुए हैं।
दल ने लिखने और बोलने वाली हिंदी और अंग्रेजी भाषा बच्चों और युवकों को सहजता से सिखाने के लिए डी वी डी की पूरी सीरीज़ तैयार की है ताकि गांव-गांव में शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ा कर बच्चों का भविष्य-निर्माण बिना सरकार या प्राइवेट स्कूलों के भी किया जा सके। इसी प्रकार सम्पूर्ण शिक्षा का पूरा पाठ्यक्रम विकसित कर बच्चों के सम्पूर्ण व्यक्तित्व के निर्माण के लिए गांव-गांव में बच्चों के भविष्य-निर्माण की कोशिश दल द्वारा की जा रही है। दल विस्तृत तौर पर युवाओं में नेतृत्व विकास कार्यक्रम भी चला रहा है।
जैसा कि पहले बताया गया, दल ने कई जनमुद्दों पर सड़क पर आन्दोलनों के माध्यम से, और न्यायलय में लोक हित याचिकाओं के माध्यम से, संघर्ष किया है और कर रहा है।
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