Sunday, 6 November 2016

जलपुरुष राजेंद्र सिंह से प्रथम वार्ता : भाग 1

भाई राजेंद्र सिंह 'जल पुरुष' से आज की मुलाकात और वार्ता (भाग 1)

पी के सिद्धार्थ,
अध्यक्ष, भारतीय सुराज दल
www.pksiddharth.in
www.suraajdal.org
www.bharatiyachetna

दो चार दिनों पहले भाई राजेंद्र सिंह से फोन पर हेलो हुई। इस हेलो के पहले हमलोग झारखण्ड में हज़ारीबाग के बड़का गांव में हुई पुलिस ज्यादतियों की तफ्शीश करने कुछ महीने पूर्व एक साथ गए थे।

मैं : (फोन पर) राजेंद्र भाई, जल के लिए बहुत काम कर चुके आप। अब कुछ जल से हट कर देश के लिए और भी काम करते हैं। देश की हालत बहुत ख़राब चल रही है। मैं अभी दिल्ली में हूँ। आपका दिल्ली आने का कोई कार्यक्रम है? यहीं मिलते हैं। या और कहीं। मगर मिलते हैं।

राजेन्द्र सिंह : दिल्ली आकर क्या करूँगा? मेरा वहां कोई काम नहीं रहता।

मैं : है न, मिलना है, बैठ कर चर्चा जरुरी है।

रा : अभी तो हैदराबाद निकल रहा हूँ। वहां से कार्यक्रम बनाता हूँ।

मैं : मुझे प्रतीक्षा रहेगी।

राजेन्द्र जी एक अत्यंत सहज और प्रसन्नचित्त व्यक्तित्व हैं। सदा सकारात्मक रुख रखते हैं। कल फोन पर फिर बात हुई तो दिल्ली आने की पुष्टि हुई। इन्डियन नैशनल साइंस अकैडमी के अतिथि गृह में रुके हुए थे। 10 बजे मिलने की बात थी। मेरी टैक्सी दिल्ली के अभूतपूर्व स्मॉग को चीरती हुई आइ टी ओ के पास INSA पहुँचती है।

लिफ्ट ले कर तीसरी मंजिल पर पहुँचता हूँ, और उनके कमरे की ओर चलता हूँ। ये सज्जन 'जलपुरुष' के नाम से जाने जाते हैं। लोग कहते हैं जहाँ भी जाते हैं जलावतरण हो जाता है। मैं सोचता हूँ कि कहीं जिस कमरे में रुके हैं, वहां भी तो जलावतरण नहीं हो गया! फर्श पहले से ही चिकनी है। कहीं कॉरिडोर में फर्श पर जल हुआ तो फिसल कर गिरने का भय है। अतः मैं जरा सावधानी से संभल-संभल कर चल रहा हूँ। सौभाग्य से कोई पानी फर्श पर कॉरिडोर में नहीं मिलता है। दरवाजे पर आकर खटखटाता हूँ। वे दरवाजा खोल कर उदारतापूर्वक स्वागत करते हैं। फिर हम अंदर बैठ कर गप-शप शुरू करते हैं। (क्रमशः)

पी के सिद्धार्थ
8252667070

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