Friday, 16 September 2016

जे पी और मैं (भाग 4)

जे पी और मैं (भाग 4)
प्रभावती की अहमियत

पी के सिद्धार्थ
www.pksiddharth.in
www.suraajdal.org
www.bharatiyachetna.org

मेरी दादी और प्रभावती का आपसी सम्बद्ध वह था जिसे बिहार में 'गोतनी' कहते हैं। प्रभावती रिश्ते में छोटी थीं। मगर मेरी दादी के मन में उनके प्रति गहरा आदर था। उनसे ही मैंने सुना कि अपने क्रन्तिकारी दिनों में एक बार जब जे पी जेल में थे तो उनसे मिलने प्रभावती जेल में गयीं। प्रभावती गांघी जी के जीवन-दर्शन से अधिक प्रभावित थीं। यानि, पति के विपरीत, गांधीवादी। जेल में जे पी ने उनसे यह आग्रह किया कि उनका एक पत्र अपने ब्लाउज़ में छिपा कर बाहर ले जाएं और  जे पी के साथियों तक पहुंचा दें। प्रभावती ने साफ़ इनकार कर दिया क्योंकि यह गांधीवादी जीवन दर्शन के विरुद्ध था।

लेकिन जे पी सैद्धांतिक मतभेदों का आदर करते थे। दोनों के सैद्धांतिक मतभेद उनके व्यक्तिगत संबंधों के आड़े नहीं आये। बाद में तो जे पी भी गांधीवादी जीवन दर्शन में आ गए। मुझे ऐसा दृढ विश्वास है कि जे पी के इस मत परिवर्तन में, अन्य कारकों के अलावा, निश्चय ही प्रभावती का हाथ भी जरूर रहा होगा।
(क्रमशः)

पी के सिद्धार्थ
16 सितम्बर, 2016

No comments:

Post a Comment