राम राज्य पर प्रश्नोत्तर
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सुराज के
मॉडल में राम-राज्य का जिक्र आने पर कई तरह के प्रश्न किये जाते हैं, जिनका जवाब
देना उचित होगा. नीचे हैं ये प्रश्नोत्तर.
प्रश्न : रामराज्य
का जिक्र क्यों? क्या हम देश को राजतंत्र की और ले जाना चाहते हैं?
उत्तर :
ऎसी कोई मंशा नहीं है. मगर कोई भी तंत्र हो, एक आदर्श राज्य में, आदर्श शासन में,
वे लक्षण होने चाहिए जो राम के राज्य में थे, राम के शासन में थे. यों भारत में
शासकों और राजाओं की एक लम्बी परम्परा रही है जो अपनी भावना और कार्यप्रणाली में
नितांत प्रजातांत्रिक थे, जिनका जीवन प्रजा के कल्याण के लिए समर्पित था. राम
उनमें से सर्वोत्तम थे मगर अकेले नहीं. इंग्लैण्ड में अभी भी रानी है, और इसलिए
वहाँ एक अर्थ में राजतंत्र है, मगर वह एक
प्रजातांत्रिक देश है. लेकिन अब राजतंत्र की कोई आवश्यकता नहीं है. चुनावी
प्रजातंत्र के भीतर ही प्रजा का आदर करने
वाला और प्रजा के दुःख दूर करने के लिए समर्पित शासन लाने की जरूरत है.
प्रश्न : रामराज्य
का जिक्र इस संगठन को हिंदुत्व की और ले जाता दिखता है, और एक सेक्युलर राज्य में
ऐसा नहीं होना चाहिए. सभी धर्मों पर सामान दबाव होना चाहिए.
उत्तर : सेक्युलर राज्य का अर्थ होता है वैसा राज्य जहां
राज्य की नीतियाँ किसी एक धर्म-विशेष के
निर्देशों के अनुकूल नहीं बनायीं जाएँ, बल्कि युक्तिसंगत और रैशनल सिद्धांतों के
अनुकूल राज्य का संचालन हो. सुराज दल भी ऎसी ही व्यवस्था के पक्ष में है, जहाँ सभी
धर्मों के प्रति सम्मान का भाव हो और समानता का व्यवहार हो. राम एक राजा थे, जिनका
व्यक्तिगत चरित्र और शासन दुनिया भर में अनोखा और बढ़िया माना जाता है, इसीलिए उनके
राज्य का आदर्श सामने रखा गया है. एक आदर्श शासक किस धर्म का था यह देखना गैरजरूरी
है.
प्रश्न :
मगर राम ही क्यों? दूसरे धर्म के अनुयायी किसी राजा का राज्य आदर्श के रूप में
क्यों नहीं सामने रखा गया?
उत्तर :
दुनिया में कहीं ऐसे किसी राजा या राजा के शासन का उदाहरण सामने नहीं आया. अगर हो
तो बताएँ, और उसका वर्णन दिखाएँ. अगर मान
भी लें कि दूर देश में कहीं कभी ऐसा कोई शासन हुआ था तो भी हम अपने देश के उदाहरण छोड़ कर दूर देशों में
क्यों जायें? हमें तो पहले उन्हीं का उदाहरण पेश करना चाहिए, जिसे हमारे देश की
अधिकांश जनता जानती और आदर करती हो.
प्रश्न :
मगर राम तो एक ‘मिथकीय’ चरित्र हैं,
ऐतिहासिक चरित्र नहीं!
उत्तर : यह
आपने कैसे निर्णय कर लिया? एक महान ऐतिहासिक चरित्र के चारों और कुछ मिथक भी उग
आते हैं, यह अलग बात है. अयोध्या से श्रीलंका तक हर जगह उनकी यात्रा की स्मृतियाँ
हैं, चिह्न हैं. मगर यदि वे मिथकीय चरित्र भी होते तो भी उनका उदाहरण, उनके शासन
का उदाहरण, जैसा कि अनेकों कवियों के
महाकाव्यों में मिलता है, भारत के घर-घर
में जाना जाता है. यह उदाहरण इस देश की जनता को तुरंत समझ में आ जाएगा. राम अगर मिथक
हैं तो आप दुनिया के किसी देश में एक ऐसे मिथकीय आदर्श राजा का उदाहरण दिखा दीजिये,
जिसका चरित्र इतना उन्नत हो और जिसके चरित्र को देश की हर भाषा में कवियों ने
अपने-अपने राज्यों में जनता तक पहँचाया हो!
प्रश्न :
मगर राम के उदाहरण से दूसरे कुछ धर्मों के लोग बुरा मान सकते हैं.
उत्तर :
समझदार लोग बुरा नहीं मानेंगे, और नहीं मानते. जो समझदार नहीं हैं उन्हें समझाना
पडेगा. जिन्ना ने पकिस्तान का राष्ट्रगीत एक हिन्दू से क्यों लिखवाया? उस समय
जिन्हें जिन्ना ने इसके लिए सबसे उपयुक्त पाया उससे लिखवाया! मोहम्मद इकबाल का
लिखा देश-गीत ‘सारे जहाँ से अच्छा’ सारे देश भर में बच्चे गाते हैं. तो क्या हम
उसे गाना सिर्फ इस लिए छोड़ दें क्योंकि उसे एक मुसलमान ने लिखा? हिन्दुस्तान की
तारीफ़ में लिखे गए सबसे सुन्दर गीतों में से वह एक है. बेहतर शासन के उदाहरण के
रूप में हम अकबर को सिर्फ इसलिए दरकिनार कर दें क्योंकि यह दूसरे समुदाय के लोगों
को नहीं भायेगा? हिन्दू पूरे भारत में
बुद्ध को ‘भगवान’ बुद्ध कहते हैं जब कि बौद्ध धर्म हिन्दू धर्म से अलग खडा हुआ,
क्योंकि वुद्ध उस योग्य थे. अगर अंगरेजी अधिक पढ़े हुए लोग राम को सिर्फ इसलिए किनारे
रखना चाहते हैं क्योंकि वे हिन्दू थे तो
इसका अर्थ यही है कि उनके अन्दर समझदारी और आत्मसम्मान दोनों की कमी है, या वे अति
भीरु हैं. भीरुता हमारा राष्ट्रीय स्वभाव बन गयी है. इससे हमें मुक्त होना है. जहाँ
जो अच्छा है उसे सभी को स्वीकार करना चाहिए. राम की कहानी सभी को पढ़नी चाहिए. वे
पूरी दुनिया के लिए एक उदाहरण और आदर्श हैं. सभी समुदायों के महान लोगों का आदर
सभी समुदाय के लोगों को निष्पक्ष हो कर करना चाहिए. यही उचित है. अन्यथा यह
संकीर्णता है, और सेक्युलरिज्म का अनादर है.
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